कविता

उम्मीद-दीप जला ले

आँधियों से क्या घबराना हौसला है बुलंद,
आती हैं खुशियां भी, भले आते ग़म चंद,
संघर्ष कर आँधियों से मुकाबला कर,
होने न देना कभी हौसलों को कतई मंद।

आकांक्षाओं-अपेक्षाओं को ज्यादा तूल न दे,
साहस से संभावनाओं को ही वरीयता दे,
आकांक्षाओं का सीना चीरकर भी होगा,
संभावनाओं का उद्गम, उम्मीद-दीप जला ले।

आँधियां-तूफान आते हैं, गुजर जाते हैं,
तनकर खड़े बड़े पेड़ जड़ से उखड़ जाते हैं,
कोमल दूर्वा नमकर उनको राह दे बच जाती,
समय देख नमने वाले ऐसे ही पार पाते हैं।

रास्ते की रुकावटें साहस को मोड़ पातीं नहीं,
साहसी बना लेते राह जहां से मिल जाए वहीं,
रुकावटें खुद ही वांछित मंजिल बन जातीं हैं,
लाख कोशिश करें दृढ़ संकल्प तोड़ पातीं नहीं।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244