गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कुछ हमारी मुश्किलें कुछ हैं तुम्हारी मुश्किलें।
जिन्दगी जाने क्या -क्या हैं तुम्हारी मुश्किलें।
है बहुत आसान जीना और मरना भी बहुत,
जिन्दगी को न समझना है तुम्हारी मुश्किलें।
रेत, पर्वत, झील, पानी पार करना ही पड़ा,
जिन्दगी के साथ चलना है तुम्हारी मुश्किलें।
उस नदी के साथ बहना और रुकना न कभी,
जिन्दगी बहती नदी सी हैं तुम्हारी मुश्किलें।
साथ में चलना, ठहरना और फिर खामोश होना,
जिन्दगी की चुप्पियों में हैं तुम्हारी मुश्किलें।

— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890

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