भाषा-साहित्य

हिंदी भाषा भारत की आत्मा है

हिंदी भाषा भारत की आत्मा है, जो देश के कोने-कोने में बोली जाती है और लोगों के दिलों में बसती है। यह एक ऐसी भाषा है जो न केवल हमारी मातृभाषा है, बल्कि एक सेतु भी है जो देश के विभिन्न प्रदेशों और संस्कृतियों को जोड़ती है।हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है, जो संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से विकसित हुई है। यह भाषा समय के साथ-साथ विकसित होती रही है, और आज यह देश की राजभाषा है।हिंदी भाषा की विशेषता यह है कि यह एक सरल और स्पष्ट भाषा है, जो लोगों के दिलों में बसती है। यह भाषा न केवल साहित्य और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि एक राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है।
आज हिंदी दिवस के अवसर पर, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिए और इसके संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए। हमें हिंदी भाषा को अपनाना चाहिए और इसके माध्यम से देश की एकता और संस्कृति को मजबूत करना चाहिए।हिंदी भाषा हमारी मातृभाषा है, और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। आइए हम हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा को अपनाएं और इसके माध्यम से देश की एकता और संस्कृति को मजबूत करें।
हिंदी भाषा देश के विभिन्न प्रदेशों में बोली जाती है हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से हुई है। यह भाषा समय के साथ-साथ विकसित होती रही है और आज यह देश की राजभाषा है।
हिंदी भाषा हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें आपस में जोड़ती है और देश की एकता को मजबूत करती है।
हिंदी भाषा साहित्य की भाषा है जिसमें हमारी संस्कृति और इतिहास की कहानियाँ छुपी हैं।
हिंदी भाषा को साहित्य और कवियों के साथ जोड़कर देखने पर, मेरा संदेश ये होगा। कि
हिंदी साहित्य और कविता हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है, जो हमारे जीवन को अर्थ और सौंदर्य प्रदान करती है। हिंदी भाषा के माध्यम से कवियों और साहित्यकारों ने हमारे देश की आत्मा को व्यक्त किया है, और हमारी संस्कृति को विश्वभर में प्रसारित किया है।
हिंदी साहित्य में तुलसी, सूर, कबीर, मीरा, और भारतेंदु जैसे महान कवियों और साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हमारे समाज को नई दिशा दी है। उनकी रचनाएं हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं और हमें अच्छाई और सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
आइए हम हिंदी साहित्य और कविता को अपने जीवन में शामिल करें और उनके माध्यम से अपनी संस्कृति को मजबूत बनाएं। हिंदी भाषा को साहित्य और कवियों के साथ जोड़कर देखने से हमें अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर मिलता है और हमारी संस्कृति की गरिमा को समझने का मौका मिलता है।बिल्कुल! हिंदी भाषा हमारे भारत वर्ष की गौरव और संबल है, जो हमारे इतिहास की सशक्त हस्ताक्षर है। यह भाषा हमारी संस्कृति, परंपरा, और मूल्यों का प्रतीक है, जो हमें आपस में जोड़ती है और देश की एकता को मजबूत करती है।
हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है, जो संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से विकसित हुई है। यह भाषा समय के साथ-साथ विकसित होती रही है।और आज यह देश की राजभाषा है।
हिंदी भाषा की शक्ति यह है कि यह हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है, हमारी संस्कृति और परंपराओं को मजबूत करती है, और देश की एकता को बढ़ावा देती है।
आइए हम हिंदी भाषा को अपनाएं और इसके माध्यम से देश की एकता और संस्कृति को मजबूत करें।
यहाँ कुछ पंक्तियाँ हैं जो हिंदी के प्रसिद्ध कवियों और साहित्यकारों की हैं:
तुलसी।
“जगद्गुरु रामचंद्र की कृपा से,
हिंदी भाषा का साहित्य बढ़ा।
सूर।
“मैं तो सूरदास हूँ, हिंदी का कवि,
भक्ति और प्रेम की बातें कहता हूँ।
कबीर।
“कबीर के दोहे हिंदी में हैं,
जीवन की सच्चाई को बताते हैं।
मीराबाई।
“मीरा के गीत हिंदी में हैं,
प्रेम और भक्ति की बातें कहते हैं।
भारतेंदु हरिश्चंद्र।
“हिंदी भाषा का साहित्य बढ़ाने के लिए,
मैंने अपना जीवन समर्पित किया है।
रहीम ।
“रहीम के दोहे हिंदी में हैं,
जीवन की सच्चाई को बताते हैं।
इन पंक्तियों में हिंदी के प्रसिद्ध कवियों और साहित्यकारों की भावनाएँ और विचार हैं, जो हिंदी भाषा और साहित्य के महत्व को दर्शाते हैं।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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