कविता

वक़्त

जब हाथ में रहे न बात

तो वक़्त के हाथ छोड़ दे

निशब्द हो बैठ जा

इंतजार कर वक़्त का

धुरी का पहिया

घूमेगा जरूर

नीचे से उपर

आएगा जरूर

वक़्त की बात तू मान ले

जो  भी लड़ा वक़्त से

हार ही उसको मिली

जो भी चला साथ उसके

 साथ वह उसके हो लिया

वक़्त की तू बात मान ले

वक़्त की तू बात मान ले

वक़्त है सबसे बड़ा सिकन्दर

सबसे बड़ा खिलाड़ी है

कब पासा तेरा पड़ेगा सीधा

कब पलट जाएगा

ये वक़्त पे तू छोड़ दे

ये वक़्त पे तू छोड़ दे

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020