कविता

चाँदनी रात में

शरद पूनम की वो चाँदनी
छिड़ गई फिर से रागिनी
दसों दिशाएँ कह रही हैं
मन पर अंकित वो कहानी।

आज कुँवारे प्रेम सखे फिर
जो बुने थे आ गईं याद
दिल में है क्या अब भी संचित
मौन प्रेम की वो मिठास।

कसक उठी है फिर से दिल में
रह गई यादें रुहानी,
दसों दिशाएँ कह रही हैं
मन पर अंकित वो कहानी।

धवल चाँदनी की निशा वो
और छत पर चांद देखना,
अचानक ही सम्मुख आकर
उंगलियों का झट छु जाना।

पहले पहल सी वो थीं छुवन,
हाय लाज से मरजानी,
दसों दिशाएँ कह रही हैं
मन पर अंकित वो कहानी।

कंपकपाते हुये अधर से
भाग जाना वह छिटक कर
दूर जाकर फिर ठहरकर
और तकना कुछ सिमट कर।

याद आती क्या तुम्हें भी
अधखिली क्षणिक निशानी ।
दसों दिशाएँ कह रही हैं
मन पर अंकित वो कहानी।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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