कविता

सर्दी की आहटें

आज़ इस खेल में,
हरेक पड़ाव पर एक गुफ्तगू हो रहा है,
आखिर ये क्यों,
सर्दी की आहटें दिल को,
काफी कसकर झकझोर रहा है।

अमीरों को कुछ समझ में नहीं आता है,
वो सब तो,
इस आहटों पर खुशियां भरपूर मनाते हैं,
इस वक्त का,
बड़ी उतावले हो,
आने की होड़ में शामिल हो जाते हैं।

ग़रीबी और मजबूर लोगों को,
यह कम्बक्त सर्दी,
तकलीफें बेपनाह देती है,
घर आंगन की तकलीफें बेहद मुसीबतों से,
भर कर तकलीफें बेहिसाब करने में,
सबसे पहले खडी हो जाती है।

रातों में सुनसान सड़कों की,
रंगरेलियां खत्म हो जाती है।
सुनापन में ही,
शहरी अनजान सड़कों में बस रेंगती नज़र आतीं हैं।

किस्मत से मिली ज़िन्दगी में,
इसके काफी फसाने हैं यहां।
मजलूमों में खुशियां नहीं दिखता है,
बस रोने और हंसने के बीच,
रंगरेलियां की कोशिश,
बस सपने संजोने से ही ,
दिखने लगते हैं बस यहां।

— डॉ. अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]