सामाजिक

अपने आप पर विश्वास करें और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें।

जीवन में परिस्थितियाँ हमेशा बदलती रहती हैं, और कभी-कभी ये परिस्थितियाँ हमें टूटने के लिए मजबूर कर सकती हैं।  घुटने टेकना और हार मानना जीवन की सबसे बड़ी हार है।
आगे बढ़कर परिस्थितियों से मुकाबला करना और उन्हें पार करना ही जीवन की सबसे बड़ी जीत है। जब हम परिस्थितियों से लड़ते हैं और उन्हें पार करते हैं, तो हम अपने आप को मजबूत बनाते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार होते हैं। इन शब्दों में बहुत ही प्रेरणा और सशक्तता है, और मुझे उम्मीद है कि ये शब्द उन सभी लोगों को प्रेरित करेंगे जो जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
उम्मीदें हमारे जीवन की सबसे बड़ी ताकत हैं। जब हम उम्मीदें रखते हैं, तो हमें लगता है कि हमारे सपने पूरे हो सकते हैं। लेकिन उम्मीदें रखना ही काफी नहीं है, हमें उन उम्मीदों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी होती है।
उम्मीदों को पंख लगाने के लिए, हमें अपने सपनों पर विश्वास करना होता है, और उन्हें पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करना होता है। हमें अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होता है, और उन्हें प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट योजना बनानी होती है।
उम्मीदें रखना और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना ही जीवन की सबसे बड़ी सफलता है। इसलिए, हमें कभी भी अपनी उम्मीदों को नहीं छोड़ना चाहिए, और हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
उम्मीदों को पंख लगाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यहाँ कुछ टिप्सहैं।
अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें और उन्हें लिख लें।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट योजना बनाएं।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें और कभी हार न मानें।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोच रखें और कभी भी अपनी उम्मीदों को नहीं छोड़ें।
अपने आप पर विश्वास करें और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समय और धैर्य रखें और कभी भी अपनी उम्मीदों को नहीं छोड़ें।
अपने आप को प्रेरित रखें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रयास करते रहें।
आप अपनी उम्मीदों को पंख लगा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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