होली आई रे
मीठा गीत गांवां, प्रीत बढ़ावां, ओ होली आई रे,
चंग छमाछम बजावां, रंग लगावां, होली आई रे,
भर रंग पिचकारी, दे मारी, हुड़दंग यूं मचाई रे,
लट्ठ ते मारी, सखियां दे गारी, उमंग है छाई रे ।
लुका छुपी खेले, रंग के मेले, उड़े अबीर गुलाल रे,
डफ़, ढोल बजावै, खूब नचावै, ताताथई दे ताल रे,
भीगी चोली, करै हंसी-ठिठोली, बदली चाल ढाल रे,
पीली भंग ठंडाई, कीन्ही खूब पिटाई, हाल बेहाल रे ।
रंगी सजनी, सोहणी लागै घणी, चमके चमकीली रे,
जाने कै ये बोली, “आनंद” घोली, कोमल कमली रे,
घणी धमकावै, थोड़ी फेर मुस्कावै, नार नखराली रे,
सब पे भारी, म्हारे देश री नारी, अलबेली अकेली रे ।
श्री राधा गोरी, श्यामा जूं रंग में बोरी, उत्सव मनाई रे,
लाल, गुलाबी, रंग ते सतरंगी, फूलन होली खिलाई रे,
दौड़े गिरधारी, नटवर बनवारी, बृज में धूम मचाई रे,
युगलछवि पे वारी, सखियां सारी, ऊंची प्रेम सगाई रे ।
— मोनिका डागा “आनंद”