डिफॉल्ट

चौपाई

लक्षण २२१


लक्षण सबके बिगड़ गये हैं।
अपने से ही अड़े हुए हैं।।
धन घमंड में नहीं कमी हैं।
पूरे जग ही धूल जमी है।।

लक्षण दिखते अति कटु कैसे।
राक्षस कुल हों सब जैसे।।
मर्यादा कब उन्हें सुहाती।
सत्य बात भी भाव न पाती।।

राजनीति के लक्षण कैसे।
निहित स्वार्थ के पुतले जैसे।।
राम भरोसे जनता सारी।
त्राहिमाम करती बेचारी।।

चोरी करके श्रेष्ठ बने हैं।
लक्षण उनके बड़े घने हैं।।
बच कर रहना इनसे भाई।
वरना कल होगा दुखदाई।।

मेरे लक्षण तुम मत देखो।
अपना हित केवल तुम पेखो।।
वरना कल को पड़े यही भारी।
काम नहीं आयेगी यारी।।


मृत्युलोक 2121


मृत्युलोक की महिमा न्यारी।
सबकी है अपनी तैयारी।।
पड़ते इक दूजे पर भारी।
कहते तुमसे मेरी यारी।।

मृत्युलोक का खेल निराला।
सबका मुख होता है काला।।
पाक साफ जो स्वयं दिखाते।
पीछे खंजर खूब चलाते।।

मृत्युलोक में जो आया है।
पाप-पुण्य समुचित पाया है।।
सुख-दुख भोग रहे हैं सारे।
जैसे जिसके कर्म हैं प्यारे।।

मृत्युलोक से डर कैसा है।
अपने पास बहुत पैसा है।।
डरते जो कंगाल यहाँ हैं।
ईश्वर दिखता धरा कहाँ है।।

खेल तमाशा खूब दिखाओ।
लूट पाट कर रोब जमाओ।।
नहीं किसी के धौंस में आओ।
पथ की हर बाधा निपटाओ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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