स्वास्थ्य

उफ़ ये गर्मी, आओ करें बात शरबत की

गर्मियों के मौसम में ठंडक पाने के लिए शरबत एक अच्छा विकल्प है। यहाँ कुछ बेहतरीन शरबत बनाने के तरीके दिए गए हैं।

  1. पुदीने का शरबत।पुदीने की पत्तियां, चीनी, नींबू का रस, पानी,बनाने का तरीका, पुदीने की पत्तियों को पानी में उबालें, फिर छान लें और चीनी और नींबू का रस मिलाएं। ठंडा होने पर परोसें।
    2.तरबूज का शरबत। तरबूज़ का रस, चीनी, पानी, पुदीने की पत्तियां
    बनाने का तरीका,तरबूज का रस निकालें और चीनी और पानी मिलाएं। पुदीने की पत्तियां डालकर ठंडा करें और परोसें।
  2. गुलाब का शरबत,
    गुलाब की पंखुड़ियां, चीनी, पानी, नींबू का रस
    गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में उबालें, फिर छान लें और चीनी और नींबू का रस मिलाएं। ठंडा होने पर परोसें।
  3. खीरे का शरबत,खीरा, चीनी, पानी, पुदीने की पत्तियां,
    बनाने का तरीका,खीरे का रस निकालें और चीनी और पानी मिलाएं। पुदीने की पत्तियां डालकर ठंडा करें और परोसें।
    इन शरबतों को बनाकर आप गर्मियों के मौसम में ठंडक पा सकते हैं।
    शरबत में दही, रंग, आइसक्रीम और सूखे मेवे भी मिलाए जाएं तो क्या बात है।आप शरबत में दही मिला सकते हैं और यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है। दही मिलाने से शरबत को एक क्रीमी और ठंडक देने वाला स्वाद मिल सकता है।आप शरबत में दही मिलाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।
    शरबत में दही मिलाकर ब्लेंड करें और फिर परोसें।
    दही को शरबत के ऊपर परोसने से पहले डालें और फिर सूखे मेवे और आइसक्रीम डालें।
    आप शरबत में रंग मिलाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।
    प्राकृतिक रंग जैसे कि बीटरूट (चुकंदर), या पुदीने का उपयोग कर सकते हैं।
    रंग को शरबत में मिलाने से पहले थोड़े पानी में घोल लें और फिर शरबत में मिलाएं।
    आप शरबत में आइसक्रीम और सूखे मेवे मिलाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं,आइसक्रीम को शरबत के ऊपर परोसने से पहले डालें।सूखे मेवे जैसे कि बादाम, काजू, या पिस्ता को शरबत के ऊपर परोसने से पहले डालें।आप शरबत में दही, आइसक्रीम और सूखे मेवे मिलाकर एक स्वादिष्ट और ठंडक देने वाला पेय बना सकते हैं।आप शरबत के स्वाद और रंग को बदलने के लिए विभिन्न फलों और मसालों का उपयोग कर सकते हैं।
    चुकंदर का शरबत बनाने की विधि।
    2-3 चुकंदर
    1 कप चीनी
    1 लीटर पानी
    1 नींबू का रस
    पुदीने की पत्तियां (वैकल्पिक)
  4. चुकंदर को उबालकर या कच्चा पीसकर उसका रस निकालें।
  5. एक बड़े पैन में पानी और चीनी मिलाकर उबालें।
  6. चीनी घुलने के बाद इसमें चुकंदर का रस और नींबू का रस मिलाएं।
  7. अच्छी तरह मिलाकर ठंडा करें।
  8. परोसने से पहले पुदीने की पत्तियां डालें और बर्फ के साथ परोसें।
    यह शरबत स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होता है, और गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है।

— डॉ मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

पिता का नाम: अशफ़ाक़ अहमद शाह जन्मतिथि: 24 जून जन्मस्थान: ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा, मध्य प्रदेश कर्मभूमि: हरदा, मध्य प्रदेश स्थायी पता: मगरधा, जिला हरदा, पिन 461335 संपर्क: मोबाइल: 9993901625 ईमेल: dr.m.a.shaholo2@gmail.com शैक्षिक योग्यता एवं व्यवसाय शिक्षा,B.N.Y.S.बैचलर ऑफ़ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस. बी.कॉम, एम.कॉम बी.एड. फार्मासिस्ट आयुर्वेद रत्न, सी.सी.एच. व्यवसाय: फार्मासिस्ट, भाषाई दक्षता एवं रुचियाँ भाषाएँ, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी रुचियाँ, गीत, ग़ज़ल एवं सामयिक लेखन अध्ययन एवं ज्ञानार्जन साहित्यिक परिवेश में रहना वालिद (पिता) से प्रेरित होकर ग़ज़ल लेखन पूर्व पद एवं सामाजिक योगदान, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल, मगरधा पूर्व प्रधान पाठक, उर्दू माध्यमिक शाला, बलड़ी ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी कम्युनिटी हेल्थ वर्कर, मगरधा साहित्यिक यात्रा लेखन का अनुभव: 30 वर्षों से निरंतर लेखन प्रकाशित रचनाएँ: 2000+ कविताएँ, ग़ज़लें, सामयिक लेख प्रकाशन, निरन्तर, द ग्राम टू डे, दी वूमंस एक्सप्रेस, एजुकेशनल समाचार पत्र (पटना), संस्कार धनी (जबलपुर),जबलपुर दर्पण, सुबह प्रकाश , दैनिक दोपहर,संस्कार न्यूज,नई रोशनी समाचार पत्र,परिवहन विशेष,समाचार पत्र, घटती घटना समाचार पत्र,कोल फील्ड मिरर (पश्चिम बंगाल), अनोख तीर (हरदा), दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद, नगर कथा साप्ताहिक (इटारसी) दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार, दैनिक जागरण, मंथन (बुरहानपुर), कोरकू देशम (टिमरनी) में स्थायी कॉलम अन्य कई पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित प्रकाशित पुस्तकें एवं साझा संग्रह साझा संग्रह (प्रमुख), मधुमालती, कोविड, काव्य ज्योति, जहाँ न पहुँचे रवि, दोहा ज्योति, गुलसितां, 21वीं सदी के 11 कवि, काव्य दर्पण, जहाँ न पहुँचे कवि (रवीना प्रकाशन) उर्विल, स्वर्णाभ, अमल तास, गुलमोहर, मेरी क़लम से, मेरी अनुभूति, मेरी अभिव्यक्ति, बेटियां, कोहिनूर, कविता बोलती है, हिंदी हैं हम, क़लम का कमाल, शब्द मेरे, तिरंगा ऊंचा रहे हमारा (मधुशाला प्रकाशन) अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा, तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी (जील इन फिक्स पब्लिकेशन) व्यक्तिगत ग़ज़ल संग्रह: तुम भुलाये क्यों नहीं जाते तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें तेरा इंतज़ार आज भी है (नवीनतम) पाँच नए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन सम्मान एवं पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पाठकों का स्नेह, साहित्यिक मंचों से मान्यता मुश्ताक़ अहमद शाह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है। आपकी लेखनी ने समाज को संवेदनशीलता, प्रेम और मानवीय मूल्यों से जोड़ा है। आपके द्वारा रचित ग़ज़लें और कविताएँ आज भी पाठकों के मन को छूती हैं और साहित्य को नई दिशा देती हैं।