गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )

गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )

जब से बेटे जवान हो गए
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए

किस्से सुन सुन के संतों के
भगवान भी हैरान हो गए

आ धमके कुछ ख़ास विदेशी
घर वाले मेहमान हो गए

सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
गाँव गली श्मशान हो गए

कैसा दौर चला सदन में

कुश्ती के मैदान हो गए

बिन माँगें सब राय दे दिए
कितनों के अहसान हो गए

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

One thought on “गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी ग़ज़ल.

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