कविता

मेरी कविता का सारांश

वो मुझे देकर अपनी

आत्मा का महादान

निशा -दिवस करती मेरा ध्यान

फिर भी मैं कहता उससे

क्या तुम्हें हैं मुझसे प्यार …?

जो बन चुकी हैं

पढ़ते पढ़ते

मेरी कविता का सारांश

वह कहती मुझसे

क्यों मुझे नही समझे …?

अब तक ..तुम्हारे  बिना

अब सूना और निस्सारहैं ….यह संसार

 

पूछती वह फिर मुझसे –

क्या तुम्हें पसंद केवल

हैं मेरी बांहों का हार

जबकि –

मैं निज की सम्पूर्णता

कों कर चुकी हूँ

मन ही मन तुम पर वार

तुम अगर कवि हो

तो मैं हूँ -तुम्हारी कविता

आँचल और देह का

समर्पण के सम्मुख कोई नही मोल

मैं कैसे कहूँ प्रिये –

मैं आकार नही ,न ही हूँ साकार

प्यार अगर सच्चा हैं तेरा

तो तुम समझो मुझे बिनाआकार

kishor kumar  khorendra

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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