खिड़की पर टंगी चद्दर दोहरा काम देती
ऊँची मंज़िलों की रोशनी उनमें रहने वालों को मुबारक, एक मंज़िला मकान मुझे हर चीज़ से ज़्यादा अज़िज है। मेरे
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Read Moreइक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में भी कुछ लोगों की सोच महिलाओं के लिए नहीं बदली। उनको लगता है सदियों
Read Moreसमाज में हमारा व्यवहार लेन-देन से चलता है। “एक हाथ दो, एक हाथ लो” हम बाज़ार में कुछ खरीदने जाते
Read Moreए औरत… तू खुद से प्यार करना कब सिखेगी? मुझे सब चलेगा उस बात से इन्कार करना कब सोचेगी? जब
Read Moreमैं राधा सी विराट नहीं बन सकती, जो अपने कृष्ण को गोपियों के संग उन्मुक्त होते विचरने की छूट दूँ।
Read More“मिली है एक ज़िंदगी जनाब यूँ जाया न कीजिए, अपनों के लिए तो बहुत जी लिए ज़रा खुद को खुशी
Read Moreआजकल फेसबुक पर साहित्यिक ग्रुपों की लाईन लगी है। जो कि साहित्य और लेखन को बढ़ावा देने हेतु बहुत ही
Read Moreवतन पर कुर्बान होने वाले तनय मेरे है ज़िंदाबाद तू, सरहद की सीमाओं को सदियों तक रहेगा याद तू, नाज़
Read Moreइस कलयुग में संयुक्त परिवार विभक्त होते छंट रहे है, इस विडम्बना के लिए किसको दोषी समझा जाए? ज़्यादातर लोग
Read Moreबच्चों के सारे शौक़ पूरे करना हर माँ-बाप की ख़्वाहिश होती है, खुशी होती है। अपने ख़्वाबों को परे रखकर,
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