परवान पर है बुद्धिबेचकों का ताण्डव
समाज और देश को बुद्धिजीवियों पर भरोसा था। उनके नीर-क्षीर विवेक पर गर्व था। यह विश्वास था कि इनकी बुद्धि
Read Moreसमाज और देश को बुद्धिजीवियों पर भरोसा था। उनके नीर-क्षीर विवेक पर गर्व था। यह विश्वास था कि इनकी बुद्धि
Read Moreधर्म के प्रति आस्थाओं में भी भेद है। एक तरफ वे लोग हैं जो धर्म के नाम पर पैसा बनाने, लोगों
Read Moreहम जो हैं वही दीखें यह मौलिकता है जबकि हम जो हैं वैसे न दिखें और इसकी बजाय हमारे दूसरे
Read Moreजब-जब भी मलाई, मक्खन और मुद्राओं भरे छींके नज़र आ जाते हैं कहीं भी, तब-तब इनकी गंध पाकर घोर शत्रु
Read Moreबहुधा लोकप्रियता के भरम में भीड़ से घिरे रहने के आदी लोग धीरे-धीरे ऐसे-ऐसे लोगों से घिर कर रह जाते
Read Moreतुम्हारे ही कारण है वजूद मेरा … तुम हो तभी मैं बना हुआ, टिका हुआ हूँ तुम जब तक गुड मॉर्निंग
Read Moreराजस्थान के सुदूर दक्षिणाँचल बांसवाड़ा जिले में शैव और वैष्णव उपासना के साथ ही दैवी उपासना आदि काल से अपने
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