ग़ज़ल
लगता आज ग़ज़ल मेरी कुछ मुझसे रूठी है शायद कोई कड़ी रिश्ते की फिर से टूटी है हार निगलते खूँटी
Read Moreयाद तुम्हारी आई मुझको एक गीत लिख दिया पत्र सा मगर तबीयत ठीक नहीं है वरना अभी पोस्ट कर देताजब
Read Moreविगत दिवस कवि विनोद राजयोगी सम्मान समिति घिरोर, मैनपुरी द्वारा कानपुर नगर के सुपरिचित हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. कमलेश द्विवेदी को
Read Moreकहने को कुछ भी कह सकता फिर भी चुप रह जाता हूं.संस्कार जो मुझे मिले हैं उनको भूल न पाता
Read Moreजग में आए हो तो प्यारे जग की रीत निभाओ. अगर किसी से प्रीत करो तो अपनी प्रीत निभाओ. जो
Read Moreआज सभी हैं पास तुम्हारे कोई मेरे पास नहीं है.लेकिन कल भी ऐसा होगा मुझको यह विश्वास नहीं है. तुम
Read Moreसीधे-सादे भोले-भाले सबसे न्यारे गांव के लोग। सबसे ज़्यादा अच्छे लगते हमें हमारे गांव के लोग। भेदभाव की बात न
Read Moreमैं माटी का दिया और तू मेरी बाती है। मेरे जीवन में प्रकाश तू ही फैलाती है।। मैं हूँ तुझमें
Read Moreकिसलिए हम ख़ुश हैं क्यों हम मुस्कुराए जा रहे हैं.लोग कुछ इस बात पर ही ख़ार खाए जा रहे हैं.
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