Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डाल कर संस्कारित करें : डा. सोमदेव शास्त्री

ओ३म् देहरादून स्थित श्रीमद्दयानन्द ज्योतिर्मठ आर्ष गुरुकुल, पौंधा के सोलहवें वार्षिकोत्सव के अवसर अन्य अनेक आयोजनों सहित एक ‘‘संस्कार सम्मेलन”

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वैज्ञानिक कृत्य अग्निहोत्र-होम से आरोग्यता सहित अनेक लाभ

ओ३म् हमने अद्यावधि जो अध्ययन किया है उसके आधार हमें लगता है कि भारत की संसार को सबसे प्रमुख देन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

संसार को किसने धारण किया है?

ओ३म् सभी आंखों वाले प्राणी सूर्य, चन्द्र व पृथिवी से युक्त नाना रंगों वाले संसार को देखते हैं परन्तु उन्हें

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

बुद्धि को शुद्ध कर ईश्वरीय प्रेरणा प्रदान कराने वाला गायत्री मन्त्र व उसका प्रामाणिक ऋषिकृत अर्थ

ओ३म् गायत्री मन्त्र आध्यात्मिक एवं सामाजिक जीवन में एक श्रेष्ठ वेदमन्त्र के रूप में विश्व में जाना जाता है। इसमें

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

एक ऐसा विश्वविद्यालय बने जहां आदर्श मानव का निर्माण हो: डा. महावीर

ओ३म् श्री मद्दयानन्द ज्योतिर्मठ आर्ष गुरुकुल, पौन्धा-देहरादून आर्यजगत की प्रसिद्ध संस्था है जहां प्राचीन वैदिक आर्ष पद्धति से संस्कृत व्याकरण

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हम सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय कर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष को सिद्ध करें।

ओ३म् मनुष्य एक विचारशील या बुद्धिमान प्राणी है। मनुष्य का बुद्धि तत्व अन्य सभी प्राणियों से विशिष्ट होने के कारण

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इतिहास

भारतीय इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण विस्मृत घटनाओं का प्रामाणिक उपदेश

ओ३म् प्राचीनकालीन परम्परा के अनुसार किसी व्यक्ति को ऋषि का पद तब ही प्राप्त होता था जो पूर्ण वेदज्ञानी, शास्त्रवेत्ता

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

त्रैतवाद ‘ईश्वर-जीव-प्रकृति’ सिद्धांत के उद्गाता महर्षि दयानंद

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने जब उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में वैदिक धर्म का प्रचार आरम्भ किया तो उस समय त्रैतवाद

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