मेरी तीसरी गज़ल
जिन्हें अपने क़रीब समझकर हमराज़ था बनाया, उनसे ही फासले साबित हुए इश्क़ मुक्कमल[1] कामिल[2] नहीं होता कि वादे मेरे
Read Moreजिन्हें अपने क़रीब समझकर हमराज़ था बनाया, उनसे ही फासले साबित हुए इश्क़ मुक्कमल[1] कामिल[2] नहीं होता कि वादे मेरे
Read Moreदे दर्द अभी ज़्यादा कि और तड़प का हौसला बाक़ी है दे दर्द अभी ज़्यादा कि और तड़प का हौसला
Read Moreफोन की टिंग-टिंग-टुंग-टुंग की आवाज़ बराबर अंदेशा देती रहती थी कि न जाने मेरे कितने ग्रुपों में मेसज पॉप अप
Read Moreदीवार पर स्टाफ सलेक्श्न कमीशन द्वारा सलाना जारी इम्तहानों की टेप से चिपकाई लिस्ट थी और उस दीवार से चिपके
Read Moreउफ् इतनी गर्मी में ट्रेन खड़ी कर दी। आदमी, आदमी की तरह नहीं भेड़-बकरी की तरह ठूँसा पड़ा है, एकदम
Read Moreले गए तुझे तो वो, जिन्होंने तेरी कीमत चुकाई हम तो बेमोल बिके, हमें न इश्क़-ए-एहतसाब समझ आई तूने लूटा
Read Moreमुझे राजभाषा अधिकारियों की उस बैठक की अध्यक्षता करने में बड़ी कोफ़्त होती है। “यह धारा तीन तीन का उल्लंघन
Read More