वास्तविक दोष
नमस्ते, आंटी जी…कैसी हो नीतिका …सब्जी की रेहड़ी पर मोहल्ले की सभी औरतें इकट्ठा हो जाती और सब्जी लेने के
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Read Moreआओ… नए साल पर कुछ हिसाब -किताब कर ले । जिंदगी ने लम्हा -लम्हा कितना घटाव दिया। उस सब का
Read Moreजिंदगी ……बड़ी बेरहमी से सच दिखती है। कितना भी…. बहलाते रहे खुद को । ऐसा नहीं है…??? ऐसा हो
Read Moreभारतीय समाज के सुधार में … आठवीं कक्षा के पाठ आठ में…. हिंदू पुराणिक कथाओं का, व्याख्यान किया जा रहा
Read Moreकुछ पल के लिए कुछ पल ही सही । तू मिला …… और मिला मुझको कुछ भी नहीं। कुछ पल
Read Moreकभी-कभी सोच सपनों की धुंध से बाहर निकल जाती। और जिंदगी के चेहरे पर धूप ठिठक जाती ।। ठिठकी इस
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