ग़ज़ल
दे हवा आतंक को कुर्सी बचाता कौन है देश को ही बेच अपना घर चलाता कौन है 1 रोटियों की
Read Moreमैं हूँ शरण तेरी मुझे माँ शारदे वरदान दो मैं मूढ़ हूँ माँ आज मुझको भी दया का दान दो
Read Moreये मौसम आशिकाना हो गया है मुहब्बत का बहाना हो गया है ।।1।। जरा देखो निगाहों में हमारी किसी का
Read Moreवैचारिक भिन्नता सदा बनती है कारण रिश्तों में टकराव का जीवन में अलगाव का और लिख देती है भाग्य में
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