इनको चाहिए झंडी और कार
चुनाव में जब हुए खड़े कपड़े साधारण जेब थी खाली चुनाव जीता बने विधायक चेहरे पर पर अब आ
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Read Moreकितनी भी उपजाऊ हो ज़मीन बिन बीज डाले कुछ पैदा नहीं होता मेहनत की कमाई से सींचना पड़ता है वही
Read Moreजाति है नाम मेरा मैं सब कुछ करवाती हूँ पैदा होते ही मैं सबके साथ चिपक जाती हूँ कर्म से
Read Moreकितने मर गए कितने और मर रहे हैं जैसा जो लिखा है वैसा ही भर रहे हैं जाने का समय
Read Moreजब से कोरोना ने दस्तक दी है ज़िन्दगी नरक सी बन गई है सब की डर के साये में जी
Read Moreबहुत जोर लगाया उन्होंने दीदी ओ दीदी जोर जोर से बुलाया जनता ने भाई की आवाज नहीं सुनी एक बार
Read Moreयह कैसी महामारी है आई चारों तरफ तबाही है लाई अच्छे अच्छे लोग भी चले गए दे न सके जिनको
Read Moreहमारा समाज आज भी पुरुष प्रधान है हेकड़ी दिखाना अब भी मर्दों की शान काबलियत से आगे बढ़ती है जब
Read Moreहर तरफ लाशें जल रही भरा हुआ हर शमशान है कोरोना तांडव कर रहा आज हर शख्स परेशान है कुदरत
Read Moreचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नौवीं तिथि जब आती है नवरात्रों का होता है समापन इस दिन राम नवमीं
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