धर्म
धर्म क्या है? नया जीवन मन का दर्पण आत्मसमर्पण या लक्ष्य कोई असाध्य सा, धर्म क्या है? कोई बिँदू अथाह
Read Moreकुछ ही देर में अनिल मामाजी ने दरवाजे पर दस्तक दी, शंकर घर में कहीं जाने के लिए तैयार बैठा
Read Moreरात को ना ज्यादा ठण्ड थी और ना अधिक गर्मी मामी जी चौके पर भोजन की तैयारी में लग गयी
Read Moreरमेश को पापा का रोज इस तरह अखबारों में उसके लिए इश्तिहार देखना शायद बिलकुल स्वीकार नहीं था!! जीवन की
Read Moreशाम के वक़्त रमेश को ज्यादा काम नहीं होता था, मुश्किल से कुछ देर पढ़ पाता और माँ खाने के
Read Moreपहाडोँ का आँचल हरा है, अंबर बादलोँ से भरा है, चमक कुछ दिनकर की खो गयी है, आज शाम जल्दी
Read Moreरमेश ने इन सारी समस्याओं का हल निकाल लिया उसने दिल्ली जाने का विचार बनाया! आकाश से इस बारे में
Read Moreआकाश एक सुलझा हुआ शख्स था. उसके व्यापारिक मित्रों में उसकी अच्छी पैठ थी. पिछले साल जब उसने अपनी नयी
Read Moreअधर्मियोँ के विनाश को उठती जो नही जवानी है, उनके रक्तोँ मेँ नहीँ उबाल है केवल ठंडा पानी है, कायर
Read Moreमतवाला बनकर चलने वाला अपनी मनमानी करता था। रमने वाला जो विषयोँ मेँ, सुख की खीँचातानी करता था।। कभी एक
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