बच्चे
बच्चे खिलते पुष्प हैं, लिये सत्य प्रतिमान ! अंतर्मन परिशुध्द है, लगते देव समान !! बच्चे सचमुच भेद बिन, नहीं झूठ,ना पाप
Read Moreहे देव तुम क्यों हुए निद्रालीन ? क्योंकि, तुम्हारे निद्रामग्न होते ही यहां बढ़ गया ख़ूनख़राबा तेजी में आ गया
Read Moreउजियारे का वंदन होगा , रोज़- रोज़ अभिनंदन होगा ! विजय माल ग्रीवा में होगी, औ’ माथे पर चंदन होगा
Read Moreअँधियारे से लड़कर हमको,उजियारे को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना होगा !! पीड़ा,ग़म
Read Moreबिखरी हो जब गंदगी,तब विकास अवरुध्द ! घट जाती संपन्नता,बरकत होती क्रुध्द !! वे मानुष तो मूर्ख हैं,करें शौच मैदान
Read Moreवंदन है,नित अभिनंदन है, हे गुरुवर नित तेरा । फूल बिछाये पथ में मेरे, सौंपा नया सबेरा ।। भटक रहा
Read Moreबाबा ना,गुंडा लगे,अपराधी के रंग ! देखा असली ढंग तो,’शरद’ रह गया दंग !! डेरा सच्चा है नहीं,लिये झूठ का
Read Moreमातु शारदे, नमन् कर रहा, तेरा नित अभिनंदन है ! ज्ञान की देवी, हंसवाहिनी, तू माथे का चंदन है !!
Read Moreहिन्दी हितकर है सदा, हिन्दी इक अभियान ! हिन्दी में तो आन है, हिन्दी में है शान !! हिन्दी सदा
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