वरदान है पुरुष
नींव है स्तम्भ भी , प्रबुद्ध है प्रकर्ष भी, सबल है समर्थ है, अविचल कर्मण्य भी है पुरूष पुरूषार्थ भी, अखण्ड सौभाग्य
Read Moreनींव है स्तम्भ भी , प्रबुद्ध है प्रकर्ष भी, सबल है समर्थ है, अविचल कर्मण्य भी है पुरूष पुरूषार्थ भी, अखण्ड सौभाग्य
Read Moreक्या लिखूँ! कैसे शब्दों में पिरोंऊ, जज्बात और ख्यालातों को I गीत लिख दूं तो गाऊँ कैसे? तान और मजीरा बजांऊ
Read Moreसफर है मोड़ है कुछ मंजिलें अन्जानी हैं, भागते दौड़ते जीवन में कुछ राहें बेगानी हैं। सम्भल कर लाख चलना
Read Moreथोड़े मायूस होकर जब , हम अपनी राह चलते हैं। तुझे साथ लेकर के , तुझी से दूर रहतें हैं।।
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