लघुकथा – खिचड़ी
“माँ जी ! आज त्यौहार है। घर में पकवान बने हैं। आप क्या खायेंगी- पूड़ी, कचौड़ी, पुलाव, खीर या कुछ
Read More“माँ जी ! आज त्यौहार है। घर में पकवान बने हैं। आप क्या खायेंगी- पूड़ी, कचौड़ी, पुलाव, खीर या कुछ
Read Moreऋषि जाबालि से बात करते हुए श्री राम कुछ रोष में आ गये थे, इसलिए महर्षि वशिष्ठ ने उनको शान्त
Read Moreभरत जी ने फिर कहा- ”भैया! आप अयोध्या लौटकर मेरी माता के कलंक को धो डालिये और पिताजी को भी
Read Moreअगले दिन प्रातःकाल सभी भाई और अन्य लोग अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के लिए मंदाकिनी नदी के तट
Read Moreउधर भरत जी का सन्देश पाकर गुरु वशिष्ठ जी के साथ आती हुई तीनों माताएँ श्री राम को देखने की
Read Moreअपनी कुटी के बाहर यज्ञ वेदी पर बैठे श्री राम की ओर देखते हुए भावविह्वल होकर भरत जी “भैया!” कहते
Read Moreभरत जी ने अपनी सेना को पर्वत की तलहटी में ही रोक दिया और जब तक अगला आदेश न मिले,
Read Moreश्री राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण जी एक ऊँचे शाल वृक्ष पर चढ़ गए और सभी दिशाओं में देखने लगे।
Read Moreश्री राम को चित्रकूट पर्वत बहुत प्रिय लगता था। वहाँ रहते हुए उन्हें अनेक दिन हो गये थे। एक दिन
Read Moreश्री राम का पता जानकर और मुनि की आज्ञा पाकर भरत जी ने अपनी सेना सहित सभी को चलने का
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