कविता
सुनो मै तुम्हे हर रोज याद कर लेती हूँ किसी बहाने से कभी वो पुरानी डायरी तो कभी पुराना खत
Read Moreमानती हूँ कि मै तुम्हारे मोहब्बत के काबिल नही लेकिन इतना भी नदॉ नही जो तुम्हारे मन की बात पढ
Read Moreआज गली विरान सी क्यो है सब यहॉ खामोश क्यो है सुना सुना लगे सब द्वार घर मे ही सब
Read More‘लड़का’ बाप हो गया, अरे ! कुंवारे माँ बन गयी लड़की, अरी ! बिन-ब्याही ‘वासना-इन-रिलेशनशिप’ की दुनिया में — हम
Read Moreकभी मानब वह कितना सक्षम ,समर्थ तथा शक्तिशाली है जिसने समुद्र, चाँद ,पर्बतों पर विजय प्राप्त कर ली है परमाणु
Read Moreकुहरे की फुहार से, ठहर गया जन-जीवन। शीत की मार से, काँप रहा मन और तन। माता जी लेटी हैं,
Read Moreहर केन्द्र के लखा है वही, आस पास ही; वह प्राण में बसेरा किया, हर लिबास ही ! नज़्मों में
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