मेरी कहानी – 36
मेरे दादा जी बहुत सख्त मिहनती थे। हो सकता है कि उन्होंने बहुत मुसीबतें देखीं थी , इस लिए. यह
Read Moreमेरे दादा जी बहुत सख्त मिहनती थे। हो सकता है कि उन्होंने बहुत मुसीबतें देखीं थी , इस लिए. यह
Read Moreवैसे तो मेरे पिता से मेरी अनेकों वार्तालाप हुई जो काफी शिक्षाप्रद, प्रेरणादायी,एवं आदर्श जीवनशैली से परिपूर्ण होती थी .!
Read Moreमेरे पिताजी एक साधारण किसान हैं। धैर्य, साहस, ईमानदारी और वात्सल्यता ही इनकी पहचान है। अपने खून-पसीने,स्नेह-प्यार से सिंच कर
Read Moreतल्हन गुरदुआरे से बाहिर निकल कर हम उस डेरे की ओर जाने लगे यहां एक सिंह जी लोगों की मुश्किलें
Read Moreमेरी कहानी के काण्ड २६ में मैं ने लिखा था कि जो मैं लिख रहा हूँ , वोह बिखरे हुए माला
Read Moreतरसेम अब अपनी ज़िंदगी में मसरूफ हो गिया था और हमारा मिलन बहुत कम हो चुका था। कभी कभी ही मैं
Read Moreवैसे तो जीत सिंह बचपन से ही हमारे साथ पड़ता था लेकिन हमारी दोस्ती मिडल स्कूल में जा कर बहुत
Read Moreहमारे गाँव राणिपुर के पश्चिम की ओर चार किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव है जिस का नाम है तल्ह्न.
Read Moreअब हम कुछ बड़े हो गए थे और शरारतें भी करने लगे थे। यों तो मैं बहुत शरीफ लड़का था
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