बुद्धू कौन
” बेटा , कथरीसाज आया है । पुरानी साड़ियाँ जो निकाली थीं लेकर आना जरा।” मेरी माँ बुला रहीं थी
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Read Moreरात का एक बजा है और वह रसोईघर में ही बैठी है। पहले कुछ देर पढ़ती रही फिर फोन की
Read Moreअत्यंत शोकग्रस्त होते हुए भी तीन दिन से वह पंछियों का पानी बदलकर दाना डालती, पर दाना-पानी वैसे का वैसा
Read Moreशर्मा जी! हमें और हमारे बेटे राहुल को आपकी बेटी नेहा पहली नजर में ही पसंद आ गई। इस बारे
Read Moreकाम का सम्मान “यार रघु, तुम्हें अब भी सब्जी का ठेला लगाते हुए संकोच नहीं होता ?” “संकोच ? क्यों
Read Moreविजय के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था। उनके खानदान में परपरा थी कि स्वर्गवासी के फूलों (अस्थियों )
Read Moreमकान बहुत बड़ा नहीं था। लेकिन रहनेवाले सदस्य बहुत सारे थे। दादाजी, ताऊजी, चाचाजी,सबके परिवार एक छत के नीचे बड़े
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