सगाई – भाग 1
“नहीं… पापा,नहीं.. यह संभव नहीं है! नहीं तोड़ सकती मैं यह सगाई। आपने कैसे सोच लिया कि मैं इंद्रजीत से
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Read More“फिर एक बेटी को जन्म दिया, मुंह जली, करम जली ने। मैं तो लुट गई, बर्बाद हो गई। मेरे जीतू
Read More“जन्मभूमि की रोशनी” हरिया की हक़ीक़त से यूँ तो गाँव का बच्चा-बच्चा वाकिफ़ है। एक रात कोई अन्जान आदमी पूरब
Read Moreहर बार की तरह दिवाली की छुट्टियों में विभा और उसके पती विशाल अपने घर माँ पापा के पास आये,इस
Read Moreबच्चे तो पहले से ही पूरे जोर शोर से क्रिसमस की तैयारी कर रहे थे ऊपर से दीदी अपने बच्चों
Read Moreकलयुगी राम रोहन अपने दादा दादी के साथ गांव में न रह कर माता पिता के साथ पास के शहर
Read Moreदीपावली की सफाई के साथ ही बच्चों की अधिक से अधिक पटाखे लेने की फरमाइश बढ़ती जा रहीं थीं ।
Read More“दृढ़ता – अंतिम भाग” विवेक से मिलकर सुजाता घर आ गई पर…उसके मन में कुछ बातें चुभ रही थी। “विवेक
Read Moreविवेक का मन फूला नहीं समा रहा था। मन चाह रहा था कि पंख फैलाकर दूर नील गगन में उड़
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