सयाली छंद
सयाली छंद घबराई डरी धरा फसलों की जगह मकान उगा आधुनिकरण जब सिमटे घन रूठ धरा से अन्नदाता देखे भुखमरी
Read Moreरचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक। स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।। भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
Read More(1) जीना इक अरमान है,जीना इक पहचान जीने का सम्मान हो,जीने का यशगान जीने का यशगान,प्यार का प्याला पीना मानवता
Read Moreहरियाली छाय रही धरा इठलाय रही देखो आम्र कुंजन में कोयलिया गावत है बासन्ती बयार चले झूम -झूम मन हरे थिरकत बागन में सुख
Read Moreमाया ठगनी रूप को , मनुज जरा पहचान । हर लेती मति ये सदा, बात हमारी मान ।। बात हमारी
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