कुंडलिया
राधाकृष्णन ने किया, जग में ऊँचा नाम। पेशे से शिक्षक स्वयं, किए अनूठे काम।। किए अनूठे काम, ज्ञान की अलख
Read Moreहे गजानन दीन बन्धू , नेह वर्षा कीजिए, पाप से कर मुक्त मुझको, पुण्य से भर दीजिए, मोह के बंधन
Read More🌻कुण्डलीया छंद🌻 🌻१🌻 सुन्दर ऐसा चाहिए ;जो मन मंजुल होय सुंदर सदैव, मन भला ;तन छवि देता खोय तन
Read Moreसत्य ही गवा है रोज सत्य ही जवां है रोज। मोज देर कितनी असत्य कर पायेगा। विजय श्री वरण सदा
Read Moreलालिमा सुशोभित मुखमंडल में उनके, अपूर्व सौंदर्य नख-शिख में समाया है। व्याकुल हृदय को लुभाते हैं कंज नयन, वाणी में
Read Moreडी.टी सी. की बस में चढ़कर, अपनी शामत आई, मैं हंसने की इच्छा रखता, आती रोज रुलाई. आती रोज रुलाई,
Read Moreमहंगाई बढ़ती रही, जैसे कोई बाढ़, अफसर लेते ही रहे, जनसंख्या की आड़. जनसंख्या की आड़, है बढ़ती महंगाई, महंगाई
Read Moreजीवन के इस मोड़ में, यादें ही अब शेष बेटा बेटी छोड़ के, चले गए परदेश चले गए परदेश, जरा
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