हिंदी
संस्कृत प्राकृत से पाली स्वरूप धरि अब देवनागरी कहावति है हिंदी। छत्तीस रागिनियों के बारह सुर गाइ गाइ चारि मिश्रित
Read Moreटीके पर भी टुच्चई, करता टोंटीचोर टीपू तू इंजीनियर,या टट्टू, लतखोर या टट्टू ,लतखोर, करे अब टोका टोंकी इक तो
Read Moreअंतस में नैराश्य का, जब जब पले विकार निंदा रस की गोलियाँ, सहज सरल उपचार सहज सरल उपचार, जगाती उर्जा
Read Moreछाया हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा संचालिका सूरज दिखे चाहत
Read More-1- बचपन के दो नयन में,ले भविष्य आकार। वर्तमान देखें युवा, जरा अतीताभार।। जरा अतीताभार, देखता बीते कल को। चखता
Read Moreसच नैया खेते रहे ,झूठ नदी पर यार,सच चप्पू करता रहा ,झूठ लहर से प्यार ,झूठ लहर से प्यार ,पवन
Read More-1- गौ माँ!गौ माँ!!कर रहे, सुलभ न चारा घास। मारी-मारी फिर रहीं,गौ माँ आज निराश।। गौ माँ आज निराश, सड़क
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