क्षणिका : चाहत
मैनें सिर्फ तुम्हें चाहा क्या तुमने कभी? मुझे चाहा। — अमन चाँदपुरी
Read Moreमैनें सिर्फ तुम्हें चाहा क्या तुमने कभी? मुझे चाहा। — अमन चाँदपुरी
Read More(6) धूप का इंतजार तुम्हें धूप दिखे तो बता देना उसे मेरे घर का पता कहना, बहुत से नहाये हुये
Read More(1) मन की पीड़ा आओं हम-तुम चले तन की सारी पीडाएँ छोड़ मन की पीड़ा का ज़बाब ढूढने तन की
Read More1-वार्तालाप तुम ही मेरा सुर हो तुम ही हो मेरा आलाप मन ही मन तुमसे करता रहता हूँ मैं निरंतर
Read More१-प्यार की कहानी रूबरू मिलना होता नहीं ज़रूरी बिना मिले ही प्यार की कहानी हो जाती है पूरी २-व्यथा पढ़ते
Read More१-बात तुमसे मेरी बात हुई थी जब मैं और तुम चुप हो गए थे २-दरकिनार कही तुझसे दरकिनार न हो
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