गजल
इन्तजार रहा पर वो आया नहीं,परिंदा घोंसला लेकर उड़ा तो नहीं । शायद दर्द अभी हरे ही हरे लग रहे,सुकून
Read Moreमनुज-देह दृढ़ एक किला।बड़े भाग्य से तुम्हें मिला।। नौ दरवाजे सभी खुले,एक फूल जो नहीं खिला। आए- जाए श्वास युगल,होता
Read Moreमन रहता बदहवास सा तेरे बगैर अब,लगे बुझी बुझी सी शाम तेरे बगैर अब। खिड़की से ताकते रहते सुदूर चांद
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