ग़ज़ल
संभवत है जब अपनी ज़िद के ऊपर आए पानी।पुल के नीचे क्या फिर पुल के ऊपर जाए पानी।जब भी इस
Read Moreमेरे बस में नहीं है कि मैं उनको छू भी पाऊं।तितलियां आके आंगन में मेरे बैठ जाती हैं। राब्ता भी
Read Moreबहुत कुछ कहना चाहता है तुमसे मेरा दिल।मगर उसको हाले दिल कहना नहीं आता । एक शोर है दिल की
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