ग़ज़ल
आ गये हैं तेरी पनाह में देखो।बसते मेरी ही चाह में देखो।। पा ही लेंगे तुम्हें हम कैसे भी।अब खड़े
Read Moreतस्वीर के रंगों की तरह,यह धरती रंगी अजूबा है।चित्रकार है एक खुदा ही उस के सिवा न दूजा है।हिंदी मुस्लिम
Read Moreनूर से उन के जग में उजाला हुआ।ख़ूबसूरत जहां का नज़ारा हुआ। वो ही होता रहा जो भी कहते रहे,रब
Read Moreजलती सहर सुलगती हुई रात दे गया,बे दर्द एक शख़्स ये सौगात दे गया। इस बार आगे बढ़कर सलाम उसने
Read Moreजी में आता है के अब तर्क मुहब्ब्त कर दूंख़त तेरे सारे ही, हवाओं के हवाले कर दूं तकाज़ा ए
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