बिखरो उच्छवासों में बनकर धड़कन
रूप सुधा का पान करा दो प्रियतम,तृप्त हो तीर्थ बन जाएगा ये मन।1। रोम-रोम आह्लादित, उर प्रेम विकसित,चमकता दमकता, अलौकिक
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Read Moreना जाने कैसा दौर चल रहा है जिंदगी का,नखरा बड़ा घनघोर चल रहा है जिंदगी का। चिकित्सा जाँच में बीमारी
Read Moreख़ामोश थी तन्हाई मेरी बुझा जख़्म दुखाया आपने।इश्क कहूॅं या मुहब्बत कहूॅं कैसा रोग लगाया आपने।। बैचेन रहा दिल यह
Read Moreभोर सुनहरी नित आती है,नव राहों को दे जाती है। सूरज की किरणों के सँग में,सपन सुहाने बरसाती है। जीवन
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