ग़ज़ल
ये हवा ये सुखद बयार तुम्हेंसौंपता हूं मैं बार बार तुम्हें सुब्ह लफ़्ज़ों के फूल बिखरे हैंचुन लो कह रहा
Read Moreकरुणामय मन सा हो के, प्रीत लगाना सीख लो।दीन दुखी को गले लगाके,मीत बनाना सीख लो। छोड़ दे नफरत का
Read Moreसमय के साथ यदि ना चल सकेगा,ज़माना एक दिन तुझ पर हॅंसेगा। बढ़ा ले वक्त पर तू भाव अपने,नहीं बेवक्त
Read Moreआईने से अब हम कभी रूबरू नहीं होते।लम्हें ज़िंदगी में कभी दोबारा नहीं होते।ख़्वाबों के अंधेरों में ही खुद को
Read Moreखग भरता ऊँची उड़ान हैलेश न पंखों में थकान है पाना है गंतव्य सुनिश्चितचुनौतियों से सावधान है थोड़ा नभ, थोड़ा
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