ग़ज़ल
खामोश आँखों की ज़ुबां से आई हैबेचैन दिल के दरमियां से आई है इश्क की रानाई कहते हैं जिसेअपनी अधूरी
Read Moreमाता मेरी शारदा, विमल विशद विश्वास।कण -कण में उर के बसा,कवि वाणी का दास।। भाग्य मनुज का जन्म है, कवि
Read Moreबहुत दिनों से लिखा न कुछ भी,क्या लिख दूँ।पढ़ने में हूँ लगा ज़िन्दगी,क्या लिख दूँ। जिन्हें मित्र कहता था सगा
Read Moreबहुत हुआ अपमान, तुम्हारी ऐसी-तैसीकपटी,झूठिस्तान,तुम्हारी ऐसी-तैसी। जो खुद हिंदू नहीं,खड़ा हो संसद में,पेल रहा है ज्ञान,तुम्हारी ऐसी-तैसी। भारत के दुश्मन
Read Moreतुझसे बेहतर यहां शबाब, ढल के चले गयेचाहे अर्श से पूंछ लो, चाहे फर्श से पूंछ लो। जितनी तेरी नजर
Read Moreसुबह गुजर गई, दोपहर में आ गयेअब सांझ तेरी ओर बढ़ती आ रही। न जला तू तेज किरनों से यहां
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