“गजल”
चहलकदमी के नपे पैर तो देखो सुबहो शाम दस्तकी शैर तो देखो गिनते हैं रिश्ते कई पीढ़ियों तक मतलब की
Read Moreए मेरे मौला! कुछ ऐसे तेरी रहमतों की हम पर बरसात कर, कोई ना रहे रोटी, कपड़े और मकान बिना
Read Moreगजल हाल-ए -दिल उनको आज सुनाया जाये जख्म दिल का उनको फिर से दिखाया जाये अत़्फ की चाह मुझे है
Read Moreगजल आज बहरी हो गयी सरकार है इसलिए हर शख्स अब लाचार है रोज धरती पुत्र मरते जब यहाँ तब
Read Moreसफेद पोशाक में, काला दिमाग रखता है वो। सेवक बनकर सेवा का लाभ उठाता है वो।। अजीब तरह का हुनर
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