गीतिका/ग़ज़ल कामनी गुप्ता 20/06/2017 ग़ज़ल सियासत का बाज़ार अब गर्म हो रहा है। चैन मेरे वतन का देखो कहीं खो रहा है। मजहब,जाति से क्यूं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *महातम मिश्र 20/06/2017 “गीतिका” देख रहा हूँ आज तुझे मैं अपने उन निगाहों में छोड़ गए तुम अंगुली को छिछले मन प्रवाहों में याद Read More
गीतिका/ग़ज़ल *महातम मिश्र 20/06/2017 “गज़ल” आप की आज छवि देखता रह गया उन निगाहों में हवि फेंकता रह गया जो दिखा देखने की न आदत Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/06/2017 ग़ज़ल जो किया छुपकर, मुहब्बत वो नुमायाँ हो गई भूल जा, नाहक जमाने से तू परीशाँ हो गई | काम नौटंकी Read More
गीतिका/ग़ज़ल शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर' 17/06/2017 ग़ज़ल गज़ल ***** लहू का रंग इक जैसा,चली तलवार जाने क्यूँ। वही मौला वही कृष्णा , बँटे दरबार जाने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *पावनी दीक्षित 'जानिब' 16/06/201716/06/2017 ग़ज़ल लेके बर्बाद मोहब्बत तेरी ख़ुशी के लिए हम तेरे शहर में आएंगे दो घड़ी के लिए । हम मुसाफिर हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *भरत मल्होत्रा 16/06/2017 गज़ल चाँद माथे पे, निगाहों में सितारे लेकर, रात आई है देखो कैसे नज़ारे लेकर, सुबह तक याद ना करने की Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/06/2017 ग़ज़ल अब लूटपाट स्त्रीत्व हरण, सब चरम हुए व्यभिचार छल कपट, यही सबके धरम हुए | जब तेरी खिन्नता भरी आँखे Read More
गीतिका/ग़ज़ल नन्द सारस्वत 14/06/2017 ग़ज़ल बारिश के बाद ही तो इंद्रधनुष खिलता है ये आसमां भी धरा से क्षितिज में मिलता है सपने देखना, नींद Read More
गीतिका/ग़ज़ल देवकी नंदन 'शान्त' 14/06/2017 ग़ज़ल बिखरी है हवाओं में तेरे नाम की खुशबू मीरा की हर इक साँस में ज्यों श्याम की खुशबू मस्जिद की Read More