ग़ज़ल- कुछ दाग लगा दोगे
इक जख़्म पुराना है फिर जख़्म नया दोगे । मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।। कमजर्फ जमाने में
Read Moreइक जख़्म पुराना है फिर जख़्म नया दोगे । मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।। कमजर्फ जमाने में
Read Moreचाँद के आने से कुछ रातें सुहानी हो गईं । महफ़िलें गुलज़ार होकर जाफ़रानी हो गईं ।। काट लेते हैं
Read Moreकोई पक्का मकान थोरै है । दिन दशा कुछ ठिकान थोरै है ।। सिर्फ कुर्सी मा जान है अटकी
Read Moreरतन की खोज में हमने, खँगाला था समन्दर को इरादों की बुलन्दी से, बदल डाला मुकद्दर को लगी दिल में
Read Moreमापनी-122 122 122 12, काफिया-आया, रदीफ़- सनम…….. तुझे प्यार करना न आया सनम तुने दिल खिलौना बनाया सनम तुझे क्यूँ
Read Moreपथ उनको क्या भटकायेगा, जो अपनी खुद राह बनाते भूले-भटके राही को वो, उसकी मंजिल तक पहुँचाते अल्फाज़ों के चतुर
Read More