शीत ऋतु का आक्रमण है
आजकल तो एक हफ़्ते में नहाने का चलन है।शत्रु लगता गुसलखाना, दूर से जल को नमनहै।कँपकँपाती देह एवम् थरथराता हुआ
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Read Moreहम ही क्यों सब, पुण्य-पंथ के सुंदरतम प्रतिमान गढ़ेंहम ही क्यों सब, चीख-चीखकर बाइबल और कुरान पढ़ेंहम ही क्यों सब,
Read More‘वीर बाल’ का दिवस मनायें, वीरों के सत्कार में।चुनवाये थे नौनिहाल दो, मुगलों ने दीवार में।वीर बाल०गुरु गोविंद सिंह द्वय
Read Moreअद्भुत चलन संस्सार काजीता न कोई होड़कर।कुछ भी न जीवन में बचादेखा घटाकर – जोड़कर। यादें पिघल, झरने बहेकटु शब्द
Read Moreसाथ भले ही आज नहीं हो, साथ की यादों में जीता हूँ।पल भर भी मैं अलग न रहता, सुधा तुम्हारे
Read Moreआदमी को आदमी की खोज जारी। देह तो सबकी लगे वे आदमी हैंआदमी थे वे सभी कल आज भी हैंआदमी
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