मुक्तक : व्यर्थ
व्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते, व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते। यज्ञ या चिता नही, ये दावानल
Read Moreव्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते, व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते। यज्ञ या चिता नही, ये दावानल
Read More1 – नोट जतन से थे रखे , आया इक भूकंप अफरा -तफरी मच गई , खूब हुआ हड़कंप ॥
Read Moreयह कैसा दौर आया है , मुसीबत साथ लाया है कतारों में खड़े लाखों , हजारी मिल न पाया है।
Read Moreकली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो,
Read More1 भूकम्प, बाढ, आपदाओं से सबका दिल दहल जाता है. अकर्मण्यता से अकसर मौका हाथ से निकल जाता है. हवा
Read Moreनेता, अफसर, वणिक ने, पैसा दिया खपाय। आम आदमी भीड़ में, देखो धक्का खाय।। ………………………………….. लौटे खाली बैंक से, कृषक
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