व्यंग
दोहे (व्यंग ) हमको बोला था गधा, देखो अब परिणाम | दुलत्ती तुमको अब पड़ी, सच हुआ रामनाम|| चिल्लाते थे
Read Moreरंगों के सँग खेलती,एक नवल- सी आस ! मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास !! लगे गुलाबी ठंड
Read Moreफिर से कुछ गीदड़ शेर का सीना छलनी कर गए, मेरे वतन तेरे आँचल पर लहू के दाग नहीं सुहाते।
Read Moreउसका कुछ नही बिगड़ा ‘दवे’ तेरी नाराजगी देख कर भी, मेरे आंसुओं का क़र्ज़ न उतारा गया, और वो हंस
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