चंद मुक्तक
अब भी विस्थापित कश्मीरी पंडित कैसी लाचारी है मोदीजी राजनाथ देखे क्या कैराना की बारी है क्यों शासन चुप है
Read Moreअब भी विस्थापित कश्मीरी पंडित कैसी लाचारी है मोदीजी राजनाथ देखे क्या कैराना की बारी है क्यों शासन चुप है
Read More1 – जो भी मिल जाता है तकदीर मान लेती हैं रूठे नसीब को भी ये तदवीर मान लेती हैं
Read Moreघर का बाहर का करूं, मैं महिला सब काम | फिर अबला कहकर मुझे, क्यूं करते बदनाम || मैं नाजुक
Read Moreआज फिर याद है तेरी आईकैसे कह दूं कि तू नहीं आईहमसफर हो जा मेरे हमदमतू न कर यार मेरी
Read Moreपांवड़े पलके बिछाए राह मैं देखा करूँ नैन ढुलके आंसुओं से आस की झोली भरूँ साँझ की दहलीज पे
Read Moreसहज मन चेतना बन कर सुनाता हूँ मैं कविता को भ्रमर गुन्जित सज़ा आँगन दिखाता हूँ मैं कविता को नवल
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