मुक्तक
हाट बाजार हो या हो दफ्तर, हर जगह तूफानी है आज की नारी अपने दम पर लिखती नयी कहानी है
Read More1-कितनी सुहानी ईद यह, चहु ओर ही गुलजार है प्रकृति दुल्हन मुस्कराई, मेघों का यह इकरार है सूरज भी कुछ
Read More1-जो करते वायदे झूठे सदा बदनाम होते जो उसे ही पूजती दुनिया कि आसाराम होते जो गुनाहों के देवों को
Read More1-सुरा अरु सुंदरी का यह अजब कैसा चलन देखो नहीं कुछ सोच पाते हैं यह कैसा है व्यसन देखो थिरकतीं
Read Moreनभ में बादल छा गये, मौसम हुआ खराब। इतना भी मत बरसियो, मुरझा जाये गुलाब।। — जल्दी-जल्दी जगत में, अब
Read Moreपागलपन में हो गयी, वाणी भी स्वच्छन्द। लेकिन इसमें भी कहीं, होगा कुछ आनन्द।। — पागलपन में सभी कुछ, होता
Read Moreबारह मे से चार को, हमने दिया घटाय शेष शून्य है दो गुना, जीवित रहा न जाय बिना नीर जीवन
Read Moreपलकों की हदों को तोड़ कर, दामन पे आ गिरा बस एक कतरा मेरे सब्र की, तौहीन कर गया ज़माने
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