“दोहा मुक्तक”
माँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार आँचल माँ का सर्वदा, छाया जस
Read Moreमाँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार आँचल माँ का सर्वदा, छाया जस
Read Moreनूर से नज़्म बना प्यार का समुंदर है । हार से जीत थी बदतर दिले सिकंदर है। गीत लिखना सरल गीत
Read Moreपहन नहाए रेनकोट मन पड़ा ना तनिकउ छींटा। झोंका आया पानी बरसा बुलट प्रूफ का भींटा। खपड़ा नारिया मड़ही टूटिगा
Read Moreकभी मैं रूठ जाऊं तो मनाने पास आते हो। कभी होती नजर से दूर तो तुम ढूंढ लाते हो यही
Read Moreपैसे लेकर बेचते, जो भी अपना वोट, जरा स्वार्थ में दे रहे, लोकतंत्र को चोट | अपराधी को वोट दे,
Read Moreअगर दो पंख बेटी को छुएगी आसमां इक दिन कहेगा ये जहां सारा इसी की दासतां इक दिन भरेगी कल्पना
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