मुक्तक
जीवन – लीला रहे अधूरी सुख – दुख के संयोग बिना प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग
Read Moreगुरु कृपा जाको मिले, ताको सब मिल जाय। गुरु चरनन की धूलि को, राखो तिलक लगाय॥ जीवन दर्शन दे दिया,
Read Moreपर सेवा उपकार है, मानवता का सार। प्रेम समर्पण साधना, जीवन का आधार॥ धन दौलत की लालसा, सत पथ से
Read More‘दोहे’ बिन बेटी होता नही, आंगन में उल्लास। बेटी मंगल गीत है, बेटी कल की आस॥ बेटी प्रीत स्वरूप है,
Read Moreपिता के उपकारों का, है ना कोई छोर. नहीं है जग में दूजा, उन-सा कोई ओर. १ ईश्वर प्रतिरूप पिता,
Read Moreमां से बढ़कर जानिए, नहीं जगत में कोय। कुछ भी कर संतान ले, मां से उऋण न होय।। माता का
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