कुछ मुक्तक
हमारा आवरण जिसने, सजाया और सँवारा है, हसीं पर्यावरण जिसने, बनाया और निखारा है। बहुत आभार है उसका, बहुत उपकार
Read Moreहमारा आवरण जिसने, सजाया और सँवारा है, हसीं पर्यावरण जिसने, बनाया और निखारा है। बहुत आभार है उसका, बहुत उपकार
Read Moreतोहमतें हम पर लगाकर वो शिकारी हो गए पोल जब खुलती गयी तो खुद भिखारी हो गए नोट की जो
Read More1 . जीवन एक कठोर धरातल , माँ होती है नर्म बिछोना । सारे दुःख -दुविधा हर लेती , माँ
Read Moreबहन विदेशी-बंधु से, करे फोन पर बात। अम्मां अंधी हो गई, याद करे दिन -रात।। जिनके घर में हो रही,
Read Moreवोट नोट की ओट में , खेले नेता रोज । काला कैसे हो सफ़ा, रहे तरीका खोज । काला धन
Read Moreटुकडे कागज के हुए, देखो सारे नोट काले धन पर हो गयी,सचमुच गहरी चोट सचमुच गहरी चोट, मची है मारा
Read More1 दोस्त फरिश्ते होते हैं, बाकी सब रिश्ते होते हैं. गरिमा जब खो देते हैं, तब रिश्तों को हम ढोते
Read More१. पास मेरे सिर्फ तेरी एक ही तो तस्वीर थी वही मेरे सुनहरे ख्वाबों की ताबीर थी अाँसु के खारे
Read Moreआजकल के जमाने में, इसी पे शोध होता है। पड़ोसन की फ़िज़ा देखी, वहीं अवरोध होता है। गिनाने तब लगी
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