दोहे – फिरा न मन का फेर
भजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर। ध्यान सदा धन में रहे, लिया मोह ने घेर। साधु संत
Read Moreभजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर। ध्यान सदा धन में रहे, लिया मोह ने घेर। साधु संत
Read Moreयुवाशक्ति को है नमन्,जो रचती इतिहास। हो हिमगिरि-सा दृढ़ युवा,ऊँचा ज्यों आकाश।। युवा उठे तो हो सृजन,विचले तो विध्वंस। युवा
Read Moreहोला महके खेत में, सोंधी लगे मिठास। छाछ दही सह पीजिए, गन्ने का रस खास।। होला भुनता मेंड़ पर, महक
Read Moreजल संकट से मत डरो ,इसका करो निदान ,पानी की हर बूँद का ,कीमत जान सुजान। जल से ही जीवन
Read Moreसोलह दोहे “शब्द बहुत अनमोल”—जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान।छन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान।1।—भरा पिटारा ज्ञान
Read Moreहोली की शुभकामना, सब ही सबको देत। खा पीकर हुल्लड़ करें, नहीं किसी का फेथ।।1।। रंगों की बारिस करें, प्रेमी
Read Moreहास्य-व्यंग्य के संग, मचायें होली का हुड़दंग, अबिर-गुलाल उड़ाकर छेड़ें, प्रीति-प्यार की जंग। गुझिया खाकर, पिएं मिलाकर ठंढाई में भंग,
Read Moreफागुन में हैं गुण भरे, लगे गुलाबी धूप। सघन शीत में था बुझा, सुंदर निखरा रूप।। जमे दिवस घुलने लगे,
Read Moreफगुवारों के दल सजे, नेह लुटाती फाग। चौपालें खुश हो झूमतीं, नाचें कोयल काग।। जन-जन का मन मोहते, होली के
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