मुक्तक/दोहा

मुक्तक/दोहा

चौबीस दोहे “पथ होते अवरुद्ध”

तानाशाही से लुटी, बड़ी-बड़ी जागीर।जनमत के आगे नहीं, टिकती है शमशीर।१।—सुलभ सभी कुछ है यहाँ, दुर्लभ बिन तदवीर।कामचोर ही खोजते,

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