मुक्तक/दोहा

मुक्तक/दोहा

छब्बीस दोहे “मुखरित है शृंगार”

प्रीत-रीत का जब कभी, होता है अहसास।मन की बंजर धरा पर, तब उग आती घास।१।—कुंकुम बिन्दी-मेंहदी, काले-काले बाल।कनक-छरी सी कामिनी,

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मुक्तक/दोहा

दोहे “शेर-दोहरे छन्द”

माता के वरदान से, होता व्यक्ति महान।कविता होती साधना, इतना लेना जान।।—कविता का लघु रूप हैं, शेर-दोहरे छन्द।सन्त-सूफियों ने किये,

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