दोहे “कच्चेघर-खपरैल”
मास फरवरी आ गया, बढ़ा सूर्य का ताप।उपवन में कलियाँ-सुमन, करते क्रिया-कलाप।।—पिघल रहे हैं ग्लेशियर, दरक रहे हैं शैल।नजर न
Read Moreमास फरवरी आ गया, बढ़ा सूर्य का ताप।उपवन में कलियाँ-सुमन, करते क्रिया-कलाप।।—पिघल रहे हैं ग्लेशियर, दरक रहे हैं शैल।नजर न
Read Moreजंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत। पोषण-सुख देते
Read More(1) मुझे गांधी ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन। बनाऊँ कैसे मैं इस देह और मन को प्रखर,पावन। मुझे नैतिकता-पथ
Read Moreप्रीत-रीत का जब कभी, होता है अहसास।मन की बंजर धरा पर, तब उग आती घास।१।—कुंकुम बिन्दी-मेंहदी, काले-काले बाल।कनक-छरी सी कामिनी,
Read Moreहुआ सवेरा/पंछी चहचहाये/नींद उड़ाये अपनापन / अनमोल सौगात/प्यार जगाये रिश्तों की पूँजी/भावनाओं का मेल/ है धरोहर चाहतें नई/शालीनता सहेली/उम्र सिखाये
Read Moreमाता के वरदान से, होता व्यक्ति महान।कविता होती साधना, इतना लेना जान।।—कविता का लघु रूप हैं, शेर-दोहरे छन्द।सन्त-सूफियों ने किये,
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